परखना मत परखने में कोई अपना नहीं रहता,
किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता॥
बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फासला कायम रखना,
जहाँ दरिया समुन्दर से मिला,दरिया नहीं रहता॥
एक गरीब शख्स ने हाथ जोड़कर पूछा,
कहीं नींद हो तो उधार दे मुझे,कहीं ख्वाब हो तो बता मुझे॥
बातें कम कीजे जेहानत को छुपाते रहिये,
ये नया शहर है कुछ दोस्त बनाते रहिये॥
न हो कुछ भी सिर्फ सपना हो तो भी हो सकती है शुरुवात
और वह शुरुवात ही तो है कि वहाँ एक सपना है॥
ठोकर खाकर भी न संभले ये मुसाफिर का नसीब,
हक अदा करते हैं राह के पत्थर अपना॥
अजीब शख्स है नाराज होके हँसता है,
मैं चाहता हूँ वो नाराज हो तो नाराज लगे॥
Sunday, October 26, 2008
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10 comments:
बहुत अच्छा लिखा है. दीपावली की शुभ कामनाएं.
sunder abhivyakti!...Happy dipawali!
BEAUTIFUL LINES... FELT FAMILIER THOUGH... WELCOME TO BLOGGING WORLD. WISH U A GREAT DIWALI
मैं जगजीत की चुनी हुईं-गई हुईं रचनाओं का तो बहुत बड़ा दीवाना हूँ. बहुत खुशी हुई इस प्रस्तुती को पढ़के. जारी रहें. साथ ही अपने अमूल्य विचार मेरे ब्लॉग पर भी आके लिखें; शुभकामनाएं.
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अमित के. सागर
प्रकाश बादल की गजलें
jiki kisi kee bhee hain bahut hee man bhawan hai, kalyan ho
narayan narayan
आपका स्वागत है निरंतरता की चाहत है . समय निकालें हमारे ब्लॉग पर भी निगाह डालें
दरिया और समंदर पर्याय वाची शब्द हैं
बहुत खूबसूरत गज़ल लिख रही हो
किसी ने कहा की अपनी शगल लिख रही हो।
बहुत अच्छा लिखा है
बातें कम कीजे जेहानत को छुपाते रहिये,
ये नया शहर है कुछ दोस्त बनाते रहिये॥
ek dusre k blog padhana,tippani karna dosti hi to hai. hamari dosti ye aur bhi pragadh ho isliye krapya niymit likhte rahe aur hame bhi padhte rahe.
-------------------Vishal"Lucknow
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