Wednesday, November 5, 2008

हर हंसी मंजर से यारों फासला कायम रखो,

चाँद गर जमीं पर उतरा देख कर डर जाओगे॥

देख कर बच्चा बोला मस्जिद आलीशान,

बस एक खुदा के लिए इतना बड़ा मकान॥

बच्चों के छोटे हाथों को चाँद-सितारे छूने दो,

चार किताबें पढ़कर कल को ये भी हमारी तरह हो जाएंगे॥

Sunday, October 26, 2008

परखना मत परखने में कोई अपना नहीं रहता,
किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता॥

बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फासला कायम रखना,
जहाँ दरिया समुन्दर से मिला,दरिया नहीं रहता॥


एक गरीब शख्स ने हाथ जोड़कर पूछा,
कहीं नींद हो तो उधार दे मुझे,कहीं ख्वाब हो तो बता मुझे॥


बातें कम कीजे जेहानत को छुपाते रहिये,
ये नया शहर है कुछ दोस्त बनाते रहिये॥

न हो कुछ भी सिर्फ सपना हो तो भी हो सकती है शुरुवात
और वह शुरुवात ही तो है कि वहाँ एक सपना है॥

ठोकर खाकर भी न संभले ये मुसाफिर का नसीब,
हक अदा करते हैं राह के पत्थर अपना॥

अजीब शख्स है नाराज होके हँसता है,
मैं चाहता हूँ वो नाराज हो तो नाराज लगे॥

Friday, May 23, 2008

mere vichaar

मुझे कविता और शेरो-शायरी लिखना अच्छा लगता है। मुझे निदा फाजली की गजलें और जावेद अख्तर ,गुलजार साहब,मजाज लखनवी,फैज आदि की गजलें पसन्द हैं---
"हमारे शौक की ये इन्तहा थी
कदम रखा के मन्जिल रास्ता थी॥"
--जावेद अख्तर
"पत्थरों के भी दिल होते हैं, जुबान होती है
अपने घर के दरो दीवार सजाकर देखो॥"----निदा फाजली